9 फरवरी तक 17वीं लोकसभा के 96 दिनों की बैठकों में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने रिकॉर्ड 96 दिन हिस्सा लिया है। निशिकांत दुबे की अटेंडेस 100 फीसदी रही है वही उनकी रैंकिंग पहले स्थान पर है। लोकसभा में सवाल पूछने की बात हो तो निशिकांत दुबे इसमें भी काफी आगे दिखाई पड़ते हैं। 410 सवालों में से बीजेपी सांसद ने करीब 132 सवाल लोकसभा में पूछे हैं जिनमें प्लास्टिक पार्क, फूड क्राफ्ट इंस्टीट्यूट की स्थिति, महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए योजनाएं, पेयजल, झारखंड में सॉफ्टवेयर पार्क, कृषि विश्वविद्यालय, नर्सिंग कॉलेज जैसे सवाल शामिल हैं। लगभग 32.02% सवाल बीजेपी सांसद की ओर से पूछे गए हैं जिसमें उनकी रैंकिंग 40वें स्थान पर है।
डिबेट्स में भी रहते सक्रिय
लोकसभा में हुई डिबेट्स की बात करें, तो निशिकांत दुबे इसमें भी काफी आगे नजर आते हैं। लोकसभा में 9 फरवरी तक हुईं 331 डिबेट्स में से निशिकांत दुबे ने 65 डिबेट्स में भाग लिया है। निशिकांत दुबे ने लोकसभा की कुल 19.67 प्रतिशत डिबेट्स में भाग लिया है जिसमें उनकी रैंकिंग छठे स्थान पर है। निशिकांत दुबे लोकसभा की डिबेट्स में तो भाग लेते ही हैं, साथ ही बीजेपी के लिए संसदीय प्रक्रिया के नियम फॉलो कराने का भी काम करते हैं। कई बार देखा गया है कि
ला चुके हैं चार प्राइवेट मेंबर बिल
प्राइवेट मेंबर बिल के मामले में भी निशिकांत दुबे भी काफी आगे नजर आते हैं। निशिकांत दुबे ने चार प्राइवेट मेंबर बिल लोकसभा में पेश किए हैं जिनमें गौ रक्षा विधेयक-2019, बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (संशोधन) विधेयक-2019 (धारा 2 का संशोधन, आदि, झारखंड और अन्य राज्यों में आदिवासी बच्चों और स्तनपान कराने वाली महिलाओं (भूख, कुपोषण और भुखमरी से बचाव की मौत) विधेयक-2019, संविधान (संशोधन) विधेयक-2019 (नए अनुच्छेद 370A का सम्मिलन) जैसे प्राइवेट मेंबर बिल शामिल हैं। निशिकांत दुबे ने कुल प्राइवेट मेंबर बिलों के करीब 33.33% प्राइवेट मेंबर बिल लोकसभा में पेश किए हैं जिसमें उनकी रैंकिंग तीसरे स्थान पर है।
सांसद निधि खर्च नहीं करते सांसद जी
अगर बात की जाए एमपी लैड फंड की, तो बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे इसमें पीछे दिखाई पड़ते हैं। निशिकांत दुबे की ओर से एमपी लैड फंड का पैसा खर्च नहीं किया गया है। इस मामले में उनकी रैंकिंग शून्य है। उन्होंने अपने कोटे के 5 करोड़ रुपए में से कुछ भी राशि क्षेत्र के विकास कार्यों पर खर्च नहीं की है। एमपी लैड फंड किसी भी सांसद के लिए अपने संसदीय क्षेत्र का विकास कराने का एक बेहतरीन जरिया होता है। सांसद इसके जरिए क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे कार्य करा सकते हैं।
भागलपुर से लुटियंस तक का सफर
निशिकांत दुबे का जन्म भागलपुर के भवानीपुर में 28 जनवरी 1969 को हुआ। भागलपुर में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए देवघर आ गए। स्नातक करने के बाद उन्होंने फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, दिल्ली से एमबीए की डिग्री हासिल की। इसके बाद निशिकांत दुबे ने एस्सार कंपनी में निदेशक के रूप में काम किया। देवघर प्रवास के दौरान निशिकांत अपने मामा से प्रभावित हुए औऱ यहीं से उनके मन में सियासत में जाने की इच्छा जागी। उनके मामा जनसंघ देवघर इकाई के पार्टी अध्यक्ष थे जबकि पिता राधेश्याम दुबे एक कम्युनिस्ट थे। निशिकांत एबीवीपी के रास्ते पहले भाजयुमो के सदस्य बने, फिर भाजपा में शामिल हो गए। 2009 में सक्रिय राजनीति में आने के बाद उन्हें गोड्डा सीट से बीजेपी का टिकट मिल गया और पहले संसदीय चुनाव में जीत भी मिल गई। उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता फुरकान अंसारी को मात दी। 2014 में एक बार फिर बीजेपी के टिकट पर उन्होंने फुरकान अंसारी को हार का स्वाद चखाया। 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर गोड्डा संसदीय से जीत दर्जकर निशिकांत दुबे ने जीत की हैट्रिक लगाई।