भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। भारत का संविधान दुनिया भर में सबसे बड़ा लिखित संविधान है। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर और उनके साथियों ने कड़ी मेहनत के बाद इसका मसौदा तैयार किया और देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के आग्रह पर मशहूर कैलिग्राफर ने छह महीने की कड़ी मेहनत के बाद इसे अपने हाथों से लिखकर तैयार किया। महान पेंटर नंदलाल बोस और उनके छात्रों ने इस पर खूबसूरत पेंटिंग भी उकेरीं। इतनी कड़ी मेहनत के बाद संविधान की मूल प्रति किसी महान कलाकृति सी तैयार हो गई, मगर वक्त की मार से इसे बचाकर रखना एक बड़ी चुनौती था। इसलिए इस खास प्रति की सुरक्षा के लिए खास तरीका अपनाया गया। भारतीय संविधान की मूल प्रति को हीलियम गैस चैंबर में सुरक्षित रखा गया है। संविधान की मूल प्रति को एक खास कपड़े में लपेटकर नेफ्थलीन बॉल्स (सफेद रंग की फिनाइल की गोलियां) के साथ रखा गया।
हीलियम गैस चैंबर में क्यों रखा गया
हाइड्रोजन के बाद सबसे हल्की गैस हीलियम ही है। इस गैस का कोई रंग नहीं होता और न ही इससे आग लग सकती है। वातावरण में चाहे तापमान कैसा भी हो, यह बनी रहती है। विमान के टायरों में भी इसका इस्तेमाल होता है। मौसम की जानकारी लेने के लिए इसी गैस को गुब्बारे में भरकर आसमान में छोड़ा जाता है।
1994 में वैज्ञानिक विधि से तैयार किया गया चैम्बर
संविधान की मूल प्रति को सुरक्षित करने के लिए काफी अध्ययन किया गया। यह देखा गया कि बाकी देशों ने अपने संविधान की सुरक्षा कैसे की है। पता चला कि अमेरिका का संविधान सबसे सुरक्षित वातावरण में रखा गया है। अमेरिकी संविधान को वॉशिंगटन स्थित लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस में हीलियम गैस के चैंबर में रखा गया है। यह एक पृष्ठ का है। इसके बाद अमेरिका के गेट्टी इंस्टीट्यूट, भारत की नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी और भारतीय संसद के बीच करार के बाद गैस न बनाने की पहल हुई। 1994 में संसद भवन के पुस्तकालय में वैज्ञानिक विधि से खास चैंबर तैयार किया गया। भारतीय संविधान की मूल प्रति 40 से 50 फीसदी नाइट्रोजन गैस वाले वातावरण में रखी गई है और यहां आक्सीजन एक फीसदी से भी कम है। इस कागज की सुरक्षा के लिए ऐसे ही वातावरण की आवश्यकता थी, जो इनर्ट यानी नॉन-रिएक्टिव हो। हर साल संविधान की मूल प्रति की सेहत की जांच होती है। हर साल चैंबर की गैस खाली की जाती है। सीसीटीवी कैमरे से इस पर लगातार निगरानी रहती है।
काली स्याही से लिखी है मूल प्रति
भारतीय संविधान काली स्याही से लिखा है। इसलिए इसके उड़ने का खतरा बना रहता था। इसे बचाने के लिए आद्रता 50 ग्राम प्रति घन मीटर के आस-पास रखने की जरूरत होती है। इसलिए चैंबर ऐसा बनाया गया, जिसमें हवा न जा सके।